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बीए सेमेस्टर-1 प्राचीन भारतीय इतिहास

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :250
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2636
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-1 प्राचीन भारतीय इतिहास

 

अध्याय - 11

बेबीलोनिया की सभ्यता

(Babylonian Civilization)

 

प्रश्न- बेबीलोनिया की सभ्यता के विषय में आप क्या जानते हैं? इस सभ्यता की सामाजिक.विशिष्टताओं का उल्लेख कीजिए।

अथवा
बेबिलोनियन सभ्यता की सामाजिक संरचना पर विस्तृत निबन्ध लिखिए।
अथवा
बेबीलोन के प्रारम्भिक समाज को समझाइए।
अथवा
बेबीलोनिया समाज की विशिष्टताओं को समझाइये।
सम्बन्धित लघु प्रश्न
1. बेबिलोनियन सभ्यता पर टिप्पणी कीजिए।
2. बेबिलोनियन समाज कितने वर्गों में बँटा हुआ था? बताइये।
3. बेबिलोनियन समाज में स्त्रियों की स्थिति का वर्णन कीजिए।
4. बेबिलोनियन सभ्यता में विवाह एवं तलाक प्रथा के विषय में बताइए।
5. बेबिलोनियन समाज में दासों की क्या स्थिति थी? स्पष्ट कीजिए।
6. बेबिलोन के समाज एवं परिवार के बारे में आप क्या जानते हैं? समझाइए।
7. प्राचीन बेबिलोनिया में विवाह प्रथा पर टिप्पणी लिखिये।

उत्तर -

बेबीलोनिया की सभ्यता

प्राचीन काल में दजला और फरात नदी घाटी को मेसोपोटामिया कहते थे। मेसोपोटामिया के दक्षिणी भाग में जिस शहरी या नगरी सभ्यता का विकास हुआ, वही बेबिलोनियन सभ्यता कहलाई। सुमेरियन सभ्यता के पतनोपरान्त सेमेटिक लोगों की एक शाखा एमराइट जाति ने सुमेर पर अपना राज्य स्थापित कर लिया। इसके पश्चात् उन्होंने अकादियन साम्राज्य पर अधिकार कर बेबीलोन को अपनी राजधानी बनाया। इसी कारण यह सभ्यता 'बेबीलोनिया की सभ्यता' के नाम से जानी जाती है।

एच. जी. वेल्स के अनुसार, "सबसे पहले एमराइट नदी के किनारे एक छोटे नगर में बस गये और लगभग 100 वर्ष के निरन्तर संघर्ष व युद्धों के पश्चात् महान राजा हम्मूराबी की अधीनता में सम्पूर्ण मेसोपोटामिया के स्वामी हो गये।'

बेबीलोनिया का सामाजिक ढाँचा

बेबिलोनियन सभ्यता शहरी सभ्यता थी। यहाँ के समाज को निम्नलिखित शीर्षकों के अन्तर्गत भली-भाँति समझा जा सकता है-

समाज का विभक्तिकरण

बेबिलोनियन समाज सुमेरियन समाज की तरह तीन श्रेणियों में विभक्त था अवीलम्, मुस्केनम् और वर्दू। इन्हें ही क्रमशः उच्च, मध्य एवं निम्न वर्गों में रखा जाता था। पहले वर्ग (अवीलम् ) में मन्त्री, पदाधिकारी, सामन्त, राजवंश, पुजारी आदि, दूसरे वर्ग (मुस्केनम् ) में व्यापारी, छोटे-छोटे व्यवसायी और किसान आदि, तथा तीसरे वर्ग (वर्दू) में दास आते थे। दास वर्ग अपनेस्वामी की सम्पत्ति होता था। दासों को इतनी स्वतन्त्रता प्राप्त थी कि वे सम्पत्ति अर्जित कर सकते थे तथा सम्पत्ति द्वारा दासता से मुक्त भी हो सकते थे। इस समाज में चार प्रकार के दास थे

(i) दास के घर में जन्म लेने वाले,
(ii) खरीद कर बनाये गये दास,
(iii) युद्धबन्दी के रूप में बनाये गये दास, तथा
(iv) कर्ज न चुका पाने की स्थिति में बनाये गये दास।

संयुक्त परिवार

बेबिलोनियन समाज में संयुक्त परिवार प्रणाली प्रचलित थी। हम्मूराबी की विधि संहिता से ज्ञात होता है कि तत्कालीन परिवार में माता-पिता, स्त्री-पुरुष, पुत्र-पुत्री आदि सभी सदस्य थे, जो बहुत अनुशासित थे। पुत्र अपने पिता का ही व्यवसाय करता था। परिवार का कानूनी आधार एक विवाह करना था परन्तु कोई भी पुरुष एक से अधिक उपपत्नियाँ रख सकता था। विवाह के समय लड़की को दहेज दिया जाता था जिस पर आजीवन लड़की का ही अधिकार रहता था। उसकी मृत्यु के उपरान्त यह सम्पत्ति उसके बच्चों को दी जाती थी। यदि लड़की की निःसन्तान ही मृत्यु हो जाती थी तो यह सम्पत्ति पुनः उसके पिता को वापस कर दी जाती थी। हम्मूराबी ने विवाह, विवाह विच्छेद, गोद लेने की प्रथा, उत्तराधिकार, बालकों के पालन-पोषण आदि से सम्बन्धित अनेक नियम बनाये थे।

वेशभूषा -

यहाँ के लोग विविध प्रकार के आभूषण, शृंगार-प्रसाधन एवं विलासिता की वस्तुओं का प्रयोग करते थे। पुरुष गले में दुपट्टा और नीचे तहमद पहनते थे। स्त्रियों को चुस्त कपड़े पहनने का शौक था। पुरुष जूते नहीं पहनते थे परन्तु स्त्रियाँ चमड़े की मुलायम जूतियाँ पहनती थीं। यहाँ के पुरुष हाथ में धनुष लेकर घूमते थे। उच्च वर्ग की स्त्रियाँ चेहरे पर लाली और सोने की बालपिनों का प्रयोग करती थीं। वे नाक, कान, गला, कलाई और उँगलियों पर सोने के आभूषण पहनती थीं। इन आभूषणों में कान के कुण्डल, गले के हार, हाथ के कंगन और अंगूठी प्रमुख थे। यहाँ की उच्च वर्ग की महिलाएँ सुखी तथा विलासी जीवन व्यतीत करती थीं। मध्यम वर्ग की स्त्रियाँ सोने व चाँदी के आभूषण तथा निम्न वर्ग की स्त्रियाँ मिट्टी के रंगीन आभूषण बनाकर पहनती थीं। यहाँ प्रसाधन के रूप में लाली, सुरमा, आँखों में अंजन, इत्र, फुलेल, शीशा, कंघा तथा कई प्रकार के उबटन प्रयोग में लाये जाते थे।

विल ड्यूरेण्ट के अनुसार, "स्त्रियों के साज व शृंगार की दृष्टि से सचमुच ही तब से लेकर अब तक कोई विशेष परिवर्तन नहीं हुआ है।'

खानपान एवं मनोरंजन

बेबीलोनिया के निवासी मांसाहारी तथा शाकाहारी दोनों प्रकार का भोजन ग्रहण करते थे। शाकाहारी अनाज, दूध, फल, आदि खाते थे और मांसाहारी मछली खाते थे। प्रत्येक व्यक्ति शराब का भी सेवन करता था और सैनिक भी शराब पीकर युद्ध करते थे।

मनोरंजन के लिये यहाँ के लोग संगीत व नृत्य आदि करते थे। यहाँ बांसुरी, ढोल आदि प्रमुख वाद्ययन्त्र थे। नृत्य और जलसों में वेश्याएँ भी नाचती गाती थीं। देवालयों में धार्मिक उत्सव मनाये जाते थे जहाँ नृत्य करके मनोरंजन किया जाता था।

स्त्रियों की स्थिति

बेबीलोनिया में स्त्रियों को सामाजिक प्रतिष्ठा तो प्रदान की गई थी परन्तु इनकी दशा निश्चित नहीं थी। एक ओर स्त्रियों का विशेष सम्मान किया जाता था तो दूसरी ओर उन्हें नैतिकता से. गिरने के लिये भी मजबूर किया जाता था। यहाँ वेश्यावृत्ति बहुत अधिक थी। यूनानी इतिहासकार हेरोडोटस के अनुसार इस काल में नारी का स्थान गिरा हुआ था। इसके विपरीत सेबाइन, बर्न्स, विल ड्यूरेण्ट, एच.जी. वेल्स आदि इतिहासकारों का मानना है कि यहाँ नारी का विशेष रूप से सम्मान किया जाता था। वे शिक्षा प्राप्त करती थीं और सामाजिक उत्सवों में स्वतन्त्र होकर भाग लेती थीं। उन्हें पुरुषों के समान अधिकार प्राप्त थे। इतना ही नहीं, यहाँ स्त्रियाँ स्वतन्त्रतापूर्वक व्यापार भी कर सकती थीं तथा प्रशासकीय सेवाओं में भर्ती भी हो सकती थीं।

डॉ. एस. आर. गोयल के शब्दों में, "बेबिलोनियन समाज में स्त्रियों को जितनी स्वतन्त्रता तथा प्रतिष्ठा प्राप्त थी, उतनी उन्हें वैदिक भारत और सम्भवतः मिस्र को छोड़कर अन्य किसी प्राचीन सभ्य देश में प्राप्त नहीं थी।'

विवाह एवं तलाक प्रथा

बेबिलोनियन समाज में विवाह योग्य लड़कियों को अपना मनपसन्द वर चुनने का पूर्ण अधिकार था। विवाह से पहले लड़के-लड़की का मेल-जोल बुरा नहीं समझा जाता था। हम्मूराबी ने विधि संहिता का निर्माण कर स्त्रियों की दशा में कई महत्वपूर्ण सुधार किये। इस समय एक पुरुष दो स्त्रियों को पत्नी के रूप में नहीं रख सकता था बल्कि यदि वह दूसरी स्त्री रखने का इच्छुक है तो उसे उप-पत्नी के रूप में रख सकता था। पति-पत्नी में एकता स्थापित करने के लिए विवाह के पूर्व एक अनुबन्ध पत्र लिखवाया जाता था जिस पर साक्षियों के हस्ताक्षर होते थे। इस अनुबन्ध-पत्र को पति- पत्नी दोनों मानते थे। विवाह के समय प्राप्त दहेज पर आजीवन लड़की का अधिकार होता था। यदि कोई व्यक्ति दूसरा विवाह करता था, तो उसे अपनी पहली पत्नी का दहेज लौटाना पड़ता था।

हम्मूराबी के कानून के अनुसार विवाहित स्त्रियों को कुछ न्याय सम्बन्धी अधिकार भी प्राप्त थे। वे अदालतों में गवाही दे सकती थीं और अपनी दासों को बेच सकती थीं।

विवाह विच्छेद के सम्बन्ध में पति-पत्नी दोनों को समान अधिकार प्राप्त थे। तलाक के लिये न्यायालय में अपील करनी पड़ती थी। यदि पत्नी व्यभिचारिणी होती थी तो उसे बिना किसी क्षतिपूर्ति के तलाक दिया जा सकता था, परन्तु पति के दोषी होने पर तलाक की अवस्था में अपनी पत्नी को उसके जीवन-यापन का खर्च देना पड़ता था। इस समाज में बहुविवाह वर्जित था। यदि किसी की पत्नी सदा के लिये रोगग्रस्त हो जाती थी तो उसका पति उसे तलाक नहीं दे सकता था। वह केवल उप-पत्नी रख सकता था।

दास प्रथा

बेबीलोनिया में दास प्रथा समाज का प्रमुख अंग थी। प्रत्येक मालिक अपने दास के हाथ पर अपना चिह्न अंकित करता था। कर्ज न चुकाने वालों को भी दास बना लिया जाता था जो अपने स्वामी की सेवा करके कर्ज से छुटकारा पा सकते थे। युद्ध के समय प्राप्त दासों को देवालयों के निर्माण में लगा दिया जाता था। शैतान व भगोड़े दासों के कान काट लिये जाते थे। कुछ इतिहासकारों के अनुसार यहाँ दासों की स्थिति अत्यन्त खराब थी। दासों के स्वामी इन पर भयंकर अत्याचार करते थे। अपराधी सिद्ध होने पर बीच बाजार में ले जाकर उन्हें कोड़े लगाये जाते थे। इसके विपरीत कुछ स्वामी अपने दासों को अधिकार भी देते थे। दास मेहनत करके अपनी व्यक्तिगत सम्पत्ति अर्जित कर सकता था और अपना कर्ज चुकाकर दासता से मुक्त हो सकता था।

हम्मूराबी ने अपनी विधि संहिता में दासों को कुछ अधिकार भी दिये थे; यथा वे अपनी बिक्री के विरुद्ध विरोध कर सकते थे, जिसकी सुनवाई अदालतों में होती थी।

मैकनेल बर्न्स के अनुसार, "कर्ज के लिये बेचे गये गुलाम, बच्चों व औरतों को चार वर्ष से अधिक गुलाम बनाकर नहीं रखा जा सकता था और जिस गुलाम स्त्री से मालिक की सन्तान जन्म ले ले उसे फिर बेचा नहीं जा सकता था। यदि कोई व्यक्ति भागे हुए दास को शरण देता था, तो शरण देने वाले को मृत्युदण्ड दिया जाता था। कोई व्यक्ति भागे हुए दास को पकड़कर उसके स्वामी को लौटा देता था, तो तत्कालीन कानूनों के अनुसार उसे पुरस्कार देकर सम्मानित किया जाता था। इस प्रकार हम्मूराबी के कानूनों से दासों की स्थिति में बहुत सुधार हुआ।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास को समझने हेतु उपयोगी स्रोतों का वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- प्राचीन भारत के इतिहास को जानने में विदेशी यात्रियों / लेखकों के विवरण की क्या भूमिका है? स्पष्ट कीजिए।
  3. प्रश्न- पुरातत्व के विषय में बताइए। पुरातत्व के अन्य उप-विषयों व उसके उद्देश्य व सिद्धान्तों से अवगत कराइये।
  4. प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
  5. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास के विषय में आप क्या जानते हैं?
  6. प्रश्न- भास की कृति "स्वप्नवासवदत्ता" पर एक लेख लिखिए।
  7. प्रश्न- 'फाह्यान पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  8. प्रश्न- दारा प्रथम तथा उसके तीन महत्वपूर्ण अभिलेख के विषय में बताइए।
  9. प्रश्न- आपके विषय का पूरा नाम क्या है? आपके इस प्रश्नपत्र का क्या नाम है?
  10. प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान के अध्ययन की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
  11. प्रश्न- शिलालेख, पुरातन के अध्ययन में किस प्रकार सहायक होते हैं?
  12. प्रश्न- न्यूमिजमाटिक्स की उपयोगिता को बताइए।
  13. प्रश्न- पुरातत्व स्मारक के महत्वपूर्ण कार्यों पर प्रकाश डालिए
  14. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता के विषय में आप क्या समझते हैं?
  15. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता के सामाजिक व्यवस्था व आर्थिक जीवन का वर्णन कीजिए।
  16. प्रश्न- सिन्धु नदी घाटी के समाज के धार्मिक व्यवस्था की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  17. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता की राजनीतिक व्यवस्था एवं कला का विस्तार पूर्वक वर्णन कीजिए।
  18. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के नामकरण और उसके भौगोलिक विस्तार की विवेचना कीजिए।
  19. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता की नगर योजना का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  20. प्रश्न- हड़प्पा सभ्यता के नगरों के नगर- विन्यास पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  21. प्रश्न- हड़प्पा संस्कृति की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  22. प्रश्न- सिन्धु घाटी के लोगों की शारीरिक विशेषताओं का संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिए।
  23. प्रश्न- पाषाण प्रौद्योगिकी पर टिप्पणी लिखिए।
  24. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के सामाजिक संगठन पर टिप्पणी कीजिए।
  25. प्रश्न- सिंधु सभ्यता के कला और धर्म पर टिप्पणी कीजिए।
  26. प्रश्न- सिंधु सभ्यता के व्यापार का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
  27. प्रश्न- सिंधु सभ्यता की लिपि पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  28. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता में शिवोपासना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  29. प्रश्न- सैन्धव धर्म में स्वस्तिक पूजा के विषय में बताइये।
  30. प्रश्न- ऋग्वैदिक अथवा पूर्व वैदिक काल की सभ्यता और संस्कृति के बारे में आप क्या जानते हैं?
  31. प्रश्न- विवाह संस्कार से सम्पादित कृतियों का वर्णन कीजिए तथा महत्व की व्याख्या कीजिए।
  32. प्रश्न- वैदिक काल के प्रमुख देवताओं का परिचय दीजिए।
  33. प्रश्न- ऋग्वेद में सोम देवता का महत्व बताइये।
  34. प्रश्न- वैदिक संस्कृति में इन्द्र के बारे में बताइये।
  35. प्रश्न- वेदों में संध्या एवं ऊषा के विषय में बताइये।
  36. प्रश्न- प्राचीन भारत में जल की पूजा के विषय में बताइये।
  37. प्रश्न- वरुण देवता का महत्व बताइए।
  38. प्रश्न- वैदिक काल में यज्ञ का महत्व बताइए।
  39. प्रश्न- पंच महायज्ञ' पर टिप्पणी लिखिए।
  40. प्रश्न- वैदिक देवता द्यौस और वरुण पर टिप्पणी लिखिए।
  41. प्रश्न- वैदिक यज्ञों की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- वैदिक देवता इन्द्र के विषय में लिखिए।
  43. प्रश्न- वैदिक यज्ञों के सम्पादन में अग्नि के महत्त्व को व्याख्यायित कीजिए।
  44. प्रश्न- उत्तरवैदिक कालीन धार्मिक विश्वासों एवं कृत्यों के विषय में आप क्या जानते हैं?
  45. प्रश्न- वैदिक काल में प्रकृति पूजा पर एक टिप्पणी लिखिए।
  46. प्रश्न- वैदिक संस्कृति की विशेषताएँ बताइये।
  47. प्रश्न- अश्वमेध पर एक टिप्पणी लिखिए।
  48. प्रश्न- आर्यों के आदिस्थान से सम्बन्धित विभिन्न मतों की आलोचनात्मक विवेचना कीजिए।
  49. प्रश्न- ऋग्वैदिक काल में आर्यों के भौगोलिक ज्ञान का विवरण दीजिए।
  50. प्रश्न- आर्य कौन थे? उनके मूल निवास स्थान सम्बन्धी मतों की समीक्षा कीजिए।
  51. प्रश्न- वैदिक साहित्य से आपका क्या अभिप्राय है? इसके प्रमुख अंगों की विस्तृत व्याख्या कीजिए।
  52. प्रश्न- आर्य परम्पराओं एवं आर्यों के स्थानान्तरण को समझाइये।
  53. प्रश्न- वैदिक कालीन धार्मिक व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
  54. प्रश्न- ऋत की अवधारणा का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  55. प्रश्न- वैदिक देवताओं पर एक विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  56. प्रश्न- ऋग्वैदिक धर्म और देवताओं के विषय में लिखिए।
  57. प्रश्न- 'वेदांग' से आप क्या समझते हैं? इसके महत्व की विवेचना कीजिए।
  58. प्रश्न- वैदिक कालीन समाज पर प्रकाश डालिए।
  59. प्रश्न- उत्तर वैदिककालीन समाज में हुए परिवर्तनों की व्याख्या कीजिए।
  60. प्रश्न- उत्तर वैदिक काल में शासन प्रबन्ध का वर्णन कीजिए।
  61. प्रश्न- उत्तर वैदिक काल के शासन प्रबन्ध की रूपरेखा पर प्रकाश डालिए।
  62. प्रश्न- वैदिक कालीन आर्थिक जीवन का विवरण दीजिए।
  63. प्रश्न- वैदिक कालीन व्यापार वाणिज्य पर एक निबंध लिखिए।
  64. प्रश्न- वैदिक कालीन लोगों के कृषि जीवन का विवरण दीजिए।
  65. प्रश्न- वैदिक कालीन कृषि व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
  66. प्रश्न- ऋग्वैदिक काल के पशुपालन पर टिप्पणी लिखिए।
  67. प्रश्न- वैदिक आर्यों के संगठित क्रियाकलापों की विवेचना कीजिए।
  68. प्रश्न- आर्य की अवधारणा बताइए।
  69. प्रश्न- आर्य कौन थे? वे कब और कहाँ से भारत आए?
  70. प्रश्न- भारतीय संस्कृति में वेदों का महत्त्व बताइए।
  71. प्रश्न- यजुर्वेद पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  72. प्रश्न- ऋग्वेद पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  73. प्रश्न- वैदिक साहित्य में अरण्यकों के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
  74. प्रश्न- आर्य एवं डेन्यूब नदी पर टिप्पणी लिखिये।
  75. प्रश्न- क्या आर्य ध्रुवों के निवासी थे?
  76. प्रश्न- "आर्यों का मूल निवास स्थान मध्य एशिया था।" विवेचना कीजिए।
  77. प्रश्न- संहिता ग्रन्थ से आप क्या समझते हैं?
  78. प्रश्न- ऋग्वैदिक आर्यों के धार्मिक विश्वासों के बारे में आप क्या जानते हैं?
  79. प्रश्न- पणि से आपका क्या अभिप्राय है?
  80. प्रश्न- वैदिक कालीन कृषि पर टिप्पणी लिखिए।
  81. प्रश्न- ऋग्वैदिक कालीन उद्योग-धन्धों पर टिप्पणी लिखिए।
  82. प्रश्न- वैदिक काल में सिंचाई के साधनों एवं उपायों पर एक टिप्पणी लिखिए।
  83. प्रश्न- क्या वैदिक काल में समुद्री व्यापार होता था?
  84. प्रश्न- उत्तर वैदिक कालीन कृषि व्यवस्था पर टिप्पणी लिखिए।
  85. प्रश्न- उत्तर वैदिक काल में प्रचलित उद्योग-धन्धों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए?
  86. प्रश्न- शतमान पर एक टिप्पणी लिखिए।
  87. प्रश्न- ऋग्वैदिक कालीन व्यापार वाणिज्य की विवेचना कीजिए।
  88. प्रश्न- भारत में लोहे की प्राचीनता पर प्रकाश डालिए।
  89. प्रश्न- ऋग्वैदिक आर्थिक जीवन पर टिप्पणी लिखिए।
  90. प्रश्न- वैदिककाल में लोहे के उपयोग की विवेचना कीजिए।
  91. प्रश्न- नौकायन पर टिप्पणी लिखिए।
  92. प्रश्न- सिन्धु घाटी की सभ्यता के विशिष्ट तत्वों की विवेचना कीजिए।
  93. प्रश्न- सिन्धु घाटी के लोग कौन थे? उनकी सभ्यता का संस्थापन एवं विनाश कैसे.हुआ?
  94. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता की आर्थिक एवं धार्मिक दशा का वर्णन कीजिए।
  95. प्रश्न- वैदिक काल की आर्यों की सभ्यता के बारे में आप क्या जानते हैं?
  96. प्रश्न- वैदिक व सैंधव सभ्यता की समानताओं और असमानताओं का विश्लेषण कीजिए।
  97. प्रश्न- वैदिक कालीन सभा और समिति के विषय में आप क्या जानते हैं?
  98. प्रश्न- वैदिक काल में स्त्रियों की स्थिति का वर्णन कीजिए।
  99. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के कालक्रम का निर्धारण कीजिए।
  100. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के विस्तार की विवेचना कीजिए।
  101. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता का बाह्य जगत के साथ संपर्कों की समीक्षा कीजिए।
  102. प्रश्न- हड़प्पा से प्राप्त पुरातत्वों का वर्णन कीजिए।
  103. प्रश्न- हड़प्पा कालीन सभ्यता में मूर्तिकला के विकास का वर्णन कीजिए।
  104. प्रश्न- संस्कृति एवं सभ्यता में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  105. प्रश्न- प्राग्हड़प्पा और हड़प्पा काल का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  106. प्रश्न- प्राचीन काल के सामाजिक संगठन को किस प्रकार निर्धारित किया गया व क्यों?
  107. प्रश्न- जाति प्रथा की उत्पत्ति एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
  108. प्रश्न- वर्णाश्रम धर्म से आप क्या समझते हैं? इसकी मुख्य विशेषताएं बताइये।
  109. प्रश्न- संस्कार शब्द से आप क्या समझते हैं? उसका अर्थ एवं परिभाषा लिखते हुए संस्कारों का विस्तार तथा उनकी संख्या लिखिए।
  110. प्रश्न- प्राचीन भारतीय समाज में संस्कारों के प्रयोजन पर अपने विचार संक्षेप में लिखिए।
  111. प्रश्न- प्राचीन भारत में विवाह के प्रकारों को बताइये।
  112. प्रश्न- प्राचीन भारतीय समाज में नारी की स्थिति पर प्रकाश डालिए।
  113. प्रश्न- वैष्णव धर्म के उद्गम के विषय में आप क्या जानते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  114. प्रश्न- महाकाव्यकालीन स्त्रियों की दशा पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  115. प्रश्न- पुरातत्व अध्ययन के स्रोतों को बताइए।
  116. प्रश्न- पुरातत्व साक्ष्य के विभिन्न स्रोतों पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  117. प्रश्न- पुरातत्वविद् की विशेषताओं से अवगत कराइये।
  118. प्रश्न- पुरातत्व के विषय में बताइए। पुरातत्व के अन्य उप-विषयों व उसके उद्देश्य व सिद्धान्तों से अवगत कराइये।
  119. प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
  120. प्रश्न- पुरातात्विक स्रोतों से प्राप्त जानकारी के लाभों से अवगत कराइये।
  121. प्रश्न- पुरातत्व को जानने व खोजने में प्राचीन पुस्तकों के योगदान को बताइए।
  122. प्रश्न- विदेशी (लेखक) यात्रियों के द्वारा प्राप्त पुरातत्व के स्रोतों का विवरण दीजिए।
  123. प्रश्न- पुरातत्व स्रोत में स्मारकों की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
  124. प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान के अध्ययन की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
  125. प्रश्न- शिलालेख, पुरातन के अध्ययन में किस प्रकार सहायक होते हैं?
  126. प्रश्न- न्यूमिजमाटिक्स की उपयोगिता को बताइए।
  127. प्रश्न- पुरातत्व स्मारक के महत्वपूर्ण कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  128. प्रश्न- "सभ्यता का पालना" व "सभ्यता का उदय" से क्या तात्पर्य है?
  129. प्रश्न- विश्व में नदी घाटी सभ्यता के विकास पर प्रकाश डालिए।
  130. प्रश्न- चीनी सभ्यता के विकास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  131. प्रश्न- जियाहू एवं उबैद काल पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  132. प्रश्न- अकाडिनी साम्राज्य व नॉर्ट चिको सभ्यता के विषय में बताइए।
  133. प्रश्न- मिस्र और नील नदी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  134. प्रश्न- नदी घाटी सभ्यता के विकास को संक्षिप्त रूप से बताइए।
  135. प्रश्न- सभ्यता का प्रसार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  136. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के विस्तार के विषय में बताइए।
  137. प्रश्न- मेसोपोटामिया की सभ्यता पर प्रकाश डालिए।
  138. प्रश्न- सुमेरिया की सभ्यता कहाँ विकसित हुई? इस सभ्यता की सामाजिक संरचना पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डालिए।
  139. प्रश्न- सुमेरियन सभ्यता के भारतवर्ष से सम्पर्क की चर्चा कीजिए।
  140. प्रश्न- सुमेरियन समाज के आर्थिक जीवन के विषय में बताइये। यहाँ की कृषि, उद्योग-धन्धे, व्यापार एवं वाणिज्य की प्रगति का उल्लेख कीजिए।
  141. प्रश्न- सुमेरियन सभ्यता में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  142. प्रश्न- सुमेरियन सभ्यता की लिपि का विकासात्मक परिचय दीजिए।
  143. प्रश्न- सुमेरियन सभ्यता की प्रमुख देनों का मूल्यांकन कीजिए।
  144. प्रश्न- प्राचीन सुमेरिया में राज्य की अर्थव्यवस्था पर किसका अधिकार था?
  145. प्रश्न- बेबीलोनिया की सभ्यता के विषय में आप क्या जानते हैं? इस सभ्यता की सामाजिक.विशिष्टताओं का उल्लेख कीजिए।
  146. प्रश्न- बेबीलोनिया के लोगों की आर्थिक स्थिति का मूल्यांकन कीजिए।
  147. प्रश्न- बेबिलोनियन विधि संहिता की मुख्य धाराओं पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  148. प्रश्न- बेबीलोनिया की स्थापत्य कला पर प्रकाश डालिए।
  149. प्रश्न- बेबिलोनियन सभ्यता की प्रमुख देनों का मूल्यांकन कीजिए।
  150. प्रश्न- असीरियन कौन थे? असीरिया की सामाजिक व्यवस्था का उल्लेख करते हुए बताइये कि यह समाज कितने वर्गों में विभक्त था?
  151. प्रश्न- असीरिया की धार्मिक मान्यताओं को स्पष्ट कीजिए। असीरिया के लोगों ने कला एवं स्थापत्य के क्षेत्र में किस प्रकार प्रगति की? मूल्यांकन कीजिए।
  152. प्रश्न- प्रथम असीरियाई साम्राज्य की स्थापना कब और कैसे हुई?
  153. प्रश्न- "असीरिया की कला में धार्मिक कथावस्तु का अभाव है।' स्पष्ट कीजिए।
  154. प्रश्न- असीरियन सभ्यता के महत्व पर प्रकाश डालिए।
  155. प्रश्न- प्राचीन मिस्र की सभ्यता के विषय में आप क्या जानते हैं? मिस्र का इतिहास जानने के प्रमुख साधन बताइये।
  156. प्रश्न- प्राचीन मिस्र का समाज कितने वर्गों में विभक्त था? यहाँ की सामाजिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  157. प्रश्न- मिस्र के निवासियों का आर्थिक जीवन किस प्रकार का था? विवेचना कीजिए।
  158. प्रश्न- मिस्रवासियों के धार्मिक जीवन का उल्लेख कीजिए।
  159. प्रश्न- मिस्र का समाज कितने भागों में विभक्त था? स्पष्ट कीजिए।
  160. प्रश्न- मिस्र की सभ्यता के पतन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  161. प्रश्न- चीन की सभ्यता के विषय में आप क्या जानते हैं? इस सभ्यता के इतिहास के प्रमुख साधनों का उल्लेख करते हुए प्रमुख राजवंशों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  162. प्रश्न- प्राचीन चीन की सामाजिक व्यवस्था का उल्लेख कीजिए।
  163. प्रश्न- चीनी सभ्यता के भौगोलिक विस्तार का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  164. प्रश्न- चीन के फाचिया सम्प्रदाय के विषय में बताइये।
  165. प्रश्न- चिन राजवंश की सांस्कृतिक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।

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